Thursday, July 5, 2018

दावा: 6 माह में सजा देगा केस आॅफिसर, सच : 2 साल बाद भी ट्रायल पर रेप केस; बच्चियों से दुष्कर्मी को फांसी कब?

मासूम बच्चियों और महिलाओं के साथ दरिंदगी करने वालों को सजा दिलाने में पुलिस और प्रशासन नकारा ही साबित रहा है। दरिंदगी के कुछ मामलों में तो केस आॅफिसर स्कीम का सहारा लेने के बावजूद पुलिस 2 से 4 बाद भी पीड़िताओं को न्याय नहीं दिला पाई। केस ऑफिसर स्कीम के तहत छह माह में आरोपियों को सजा दिलाकर जेल भिजवाने का दावा किया गया था। भास्कर की पड़ताल में सामने आईं कई चौकाने वाली जानकारियां : भास्कर ने मासूम बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी के तीन मामलों में चल रही कार्रवाई की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। कई मामलों में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं की। न्याय और कार्रवाई की रफ्तार ऐसी है कि शहर के पॉश इलाके में दरिंदगी करने वाले बांग्लादेशी दरिंदे को चार साल बाद भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने केस ऑफिसर स्कीम के नाम पर यह तीनों के केस अपने क्षेत्राधिकार की कोर्ट में ही रखे, तब जबकि जयपुर में पॉक्सो कोर्ट है। वहां ये केस नहीं ले जाए गए। क्या है केस ऑफिसर स्कीम : पूर्व पुलिस महानिदेशक केएस गिल के कार्यकाल में वर्ष 2005 में गंभीर अपराध के मामलों त्वरित न्याय दिलाने के लिए यह केस आॅफिसर स्कीम शुरू की गई थी। इसे शुरू किए जाने का मुख्य उद्देश्य छह माह में आरोपी को सजा दिलाना था। इसमें गिरफ्तारी, चालान और कोर्ट की सभी प्रक्रियाएं शामिल थी। कोर्ट में इस स्कीम में शामिल मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाती है।

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