
गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा हो रही हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भीड़तंत्र को कानून के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती। इसे लोहे के हाथों से खत्म कर दिया जाएगा। राज्य सरकार ऐसी घटनाओं को अनसुना नहीं कर सकती। गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता। संसद को इसके लिए कानून बनाने की जरूरत है। सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
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