
जयपुर. डीडवाना में दलित सिपाही गेनाराम बारूपाल और उनके परिवार को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के मामले में तत्कालीन नागौर एसपी पारिस देशमुख की भूमिका कठघरे में खड़ी हो गई। मामले में पारिस देशमुख से कभी भी पूछताछ हो सकती है। तत्कालीन जांच अधिकारी आईजी बीएल मीणा ने देशमुख को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच बदलकर एटीएस के आईजी बीजू जार्ज जोसफ को दे दी, जबकि पुलिस मुख्यालय ने पहले एटीएस एडीजी उमेश मिश्रा के सुपरविजन में बीएल मीणा को ही जांच दी थी। जोसफ ने अब मामले की फिर से जांच शुरू कर दी है। पुलिस आठ जनों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें एक एएसआई, दो कांस्टेबल व रिटायर्ड पुलिसकर्मी शामिल हैं। दरअसल, गेनाराम डीडवाना एएसपी कार्यालय में तैनात था। उसके खिलाफ मई 2012 मे चोरी का मुकदमा दर्ज था। पुलिस एक दफा इस मामले को झूठा मानकर एफआर लग चुकी थी, लेकिन वापस मामले को पुलिस ने रिओपन कर दिया था। जांच डिप्टी एसपी ओमप्रकाश गौतम के पास थी। गेनाराम पर अनुसंधान अधिकारियों द्वारा जबरन आरोप प्रमाणित माने जा रहे थे और...
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