Wednesday, July 11, 2018

थाइलैंड गुफा: 12 साल की उम्र में मां-बाप और भाई को खोने वाले इस शख्स ने बचाई 11 फुटबॉलरों की जान

नई दिल्ली। पिछले 17 दिनों से देश-दुनिया की मीडिया में थाइलैंड की गुफा में फंसे 11 फुटबॉलरों की कहानी छाई हुई है। 23 जून को थाईलैंड की गुफा थाम लुआंग में फंसे जूनियर फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को बचाने के लिए पूरी दुनिया में प्रार्थना और दुआ मांगी गई। करीब 1200 लोगों का बचाव दल पिछले 15 दिनों से बच्चों को जिंदा लाने की जुगत में लगा हुआ था। अब रेस्क्यू टीम को कामयाबी मिली है। बचाव दल ने कोच सहित सभी खिलाड़ियों को जिंदा वापस ले आने में कामयाबी हासिल कर ली है। समाचार एजेंसी एएनआई ने इसकी पुष्टि कर दी है।

फुटबॉलरों ने खुद बताई कहानी-
इस घटना से जुड़ाव रखने वाले अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल था कि आखिर पिछले 17 दिनों से इन फुटबॉलरों की जान कैसे बची रही। धरती से करीब एक किलोमीटर अंदर फंसे इन फुटबॉलरों को कौन सी शक्ति जिंदा बचाए रखी थी। अब इस अहम सवाल का जवाब मिल गया है। गुफा से बाहर निकाले गए बच्चों ने खुद अपनी कहानी बताई है। फुटबॉलरों ने बताया कि गुफा में फंसने के बाद सभी की हालत खराब हो गई थी। अचानक गुफा में पानी भर जाने के बाद जिंदा बच पाना मुश्किल दिख रहा था। लेकिन टीम के 25 वर्षीय कोच इकापोल चांटावांग ने हिम्मत दिखाते हुए फुटबॉलरों की जान बचाई।

क्या कहा फुटबॉलरों ने -
जीवन और मौत की जंग को जीत कर बाहर निकले फुटबॉलरों ने बताया, "जब वे गुफा में गए थे तो उनके पास खाने-पीने का ज्यादा सामान नहीं था। ऐसे में गुफा में पानी भरने के बाद उनके कोच ने उन्हें हिम्मत दी। कोच ने हमें बताया कि जब तक हमलोग बाहर न निकल जाएं तब तक किसी भी तरीके से शरीर की ऊर्जा को बचाना होगा। इसके लिए कोच ने कई तरीके बताए। कोच खुद के हिस्से का भोजन हम सभी में बांट देते थे।" फुटबॉलरों ने आगे कहा कि कोच हमेशा कहते रहे कि स्थिति के अनुसार सभी को ढलना होगा और इस मुश्किल की घड़ी में हार नहीं माननी होगी।

12 साल की उम्र में अनाथ हो गए थे कोच-
11 बच्चों की जान बचाकर आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुए कोच इकापोल चांटावांग ने अपनी जिंदगी में कई बड़े थपेड़े झेले है। इकापोल जब महज 12 साल के थे तभी महामारी के कारण उनका परिवार काल के गाल में समा गया था। कोच इकापोल का सात वर्षीय भाई और माता-पिता की दर्दनाक मौत इस बीमारी के चलते हो गई थी। इसके बाद इकापोल पूरी दुनिया से कट गए थे।

साधु बन गए थे इकापोल-
असमय अनाथ होने के बाद इकापोल गहरे अवसाद में चले गए थे। इस अवसाद के निकलने के लिए इकापोल ने बौद्ध मठों का सहारा लिया। इकापोल बौद्ध मठ में साधु हो गए। घोर निराशा में इकापोल को मठ और धर्म ने जरुरी ताकत दी। जिसके बाद इकापोल के जीवन की गाड़ी फिर से पटरी पर आ सकी। इसके बाद इकापोल फुटबॉल से जुड़े। तीन साल पहले तक इकापोल साधु के रूप में थे। लेकिन अब वो फुटबॉल टीम के कोच हैं।



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