
प्रदेश में फार्मेसी में हजारों विद्यार्थी डिप्लोमा व डिग्री करने के बावजूद भी सरकारी नौकरी का इंतजार है और सरकार के वादों से निराश होते नजर आ रहे हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही व अनदेखी के चलते पिछले पांच साल से फार्मासिस्टों की भर्ती अटकी पड़ी है। वर्ष-2013 में खुद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ग्रुप-2 ने एक आदेश जारी कर ‘नि:शुल्क दवा योजना’ के तहत संचालित दवा वितरण केन्द्रों पर 2112 फार्मासिस्टों के पदों पर भर्ती करने की स्वीकृति दी थी, लेकिन सरकार के पांच साल पूरे होने को है और भर्ती का अता-पता ही नहीं है।
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