
नई दिल्ली। एशिया के 45 देशों के बीच हुए खेल महाकुंभ 'एशियन गेम्स -2018' का समापन हो चुका है। चार साल पर आयोजित होने वाले इस खेल आयोजन में भारत का प्रदर्शन पिछले आयोजनों के मुकाबले काफी अच्छा रहा। भारत ने इस एशियाई खेलों का समापन 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक के साथ कुल 69 पदकों के साथ किया। पदकों की कुल संख्या के लिहाज से यह भारत का एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। लेकिन यदि भारत की तुलना पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से की जाए, तो हम पाकिस्तान से काफी आगे है लेकिन चीन से कोसों पीछे है।
चीन का स्वर्णिम शो-
इस बार भी एशियाई खेलों में चीन का वर्चस्व कायम रहा। यह अलग बात है कि 2010 और 2014 की तुलना में चीन ने जकार्ता में रविवार को समाप्त 18वें एशियाई खेलों में कम पदक जीते हैं। बावजूद इसके वह अपनी बादशाहत कायम रखने में सफल रहा। चीन ने जकार्ता में 132 स्वर्ण, 92 रजत और 65 कांस्य के साथ कुल 289 पदक जीते। चीन के अलावा जापान ही 200 पदकों का आंकड़ा पार कर सका। जापान कुल 205 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा जबकि 177 पदकों के साथ दक्षिण कोरिया तीसरे पायदान पर रहा।
पाकिस्तान से कोसों आगे-
यदि एशियाई खेलों में भारत और पाकिस्तान की तुलना की जाए, तो भारत पाकिस्तान से कोसों आगे है। पाकिस्तान के एथलीट इस एशियाई खेलों में मात्र चार पदक के साथ वापस लौटे। पाकिस्तान को हासिल हुए ये चारों पदक कांस्य के रूप में आए। पाकिस्तान ने एथलेटिक्स (भाला फेंक), कराडा, कबड्डी और स्कवॉश में एक-एक कांस्य पदक जीता।
अन्य पड़ोसी देशों का हाल-
भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य देशों की बात की जाए, तो नेपाल को केवल एक रजत पदक हासिल हो सका। अफगानिस्तान को दो कांस्य पदक मिले। जबकि म्यांमार को भी मात्र दो कांस्य पदक हासिल हुए। श्रीलंका का खाता भी नहीं खुल सका। पड़ोसी देशों में चीन को छोड़ दिया जाए, तो भारत का प्रदर्शन सबसे ऊपर है।
मात्र एक स्वर्ण से चूका बड़ा रिकॉर्ड-
इस एशियन गेम्स में भारतीय एथलीट दल एक बड़ा रिकॉर्ड बना सकते थे। लेकिन मात्र एक स्वर्ण पदक के अंतर से वो चूक गए। भारत ने 1951 में अपनी मेजबानी में 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक जीते थे। स्वर्ण पदक के मामले में भारत ने उसकी बराबरी तो की। लेकिन 1951 के प्रदर्शन से आगे बढ़ पाने में चूक गए। यदि भारत को एक और स्वर्ण मिल गया होता तो यह भारत का सवश्रेष्ठ प्रदर्शन कहालाता।
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