नई दिल्ली । अपने आप को झुग्गियों से निकला मुक्केबाज बताने वाले पूर्व हैविवेट चैम्पियन अमेरिका के माइक टायसन का मानना है कि गरीबी में पलने-बढ़ने वाला शख्स एक अच्छा मुक्केबाज बन सकता है। यह दिग्गज मुक्केबाज इस समय अपने पहले भारत दौरे पर है। टायसन सबसे कम उम्र में हैवीवेट खिताब जीतने वाले मुक्केबाज हैं। उन्होंने 20 साल, चार महीने और 22 दिनों की उम्र में यह खिताब जीता था। टायसन इस समय भारत में कुमिते 1 लीग के उद्घाटन के लिए यहां हैं।
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भारत में पहली बार होने वाली है वैश्विक संयुक्त मार्शल आर्ट्स एमएमए लीग
यह भारत की पहली वैश्विक संयुक्त मार्शल आर्ट्स एमएमए लीग है जो शनिवार से शुरू हो रही है। टायसन ने इसकी पूर्व संध्या पर संवाददातओं से कहा, "मैं झुग्गी में पैदा हुआ। मेरा सपना था कि मैं झुग्गी से बाहर निकलूं और इसलिए मैं यहां हूं। अगर कोई कड़ी मेहनत करता है तो झुग्गी से बाहर निकल सकता है।"उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि आप जितने गरीब हैं उतने अच्छे मुक्केबाज भी। सबसे सफल मुक्केबाज झुग्गी से ही आते हैं। जो भी मुक्केबाज झुग्गी से आते हैं वह सफल होते हैं।"
एमएमए में पैसे को देते हैं महत्व माइक टायसन
टायसन से जब अपने सबसे मुश्किल विपक्षी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "कुछ अच्छे मुक्केबाज थे। लेनोक्स लुइस, इवेंडर होलीफील्ड, बस्टर डग्लस जैसे कुछ अच्छे नाम हैं।"टायसन से जब पूछा गया कि एमएमए जब पहले आता तो क्या वो इसके साथ आते तो उन्होंने कहा, "मैं इस बारे में नहीं कह सकता। एमएमए में यह लोग ज्यादा रकम नहीं देते हैं और मैं पैसे के साथ जाना चाहता हूं।" टायसन इस समय भारत में कुमिते 1 लीग के उद्घाटन के लिए आये हैं।
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