
नई दिल्ली। भारतीय घरेलु क्रिकेट में 18 साल बाद वापसी करने वाली बिहार क्रिकेट टीम एक बार फिर विवादों में आ गई है। बिहार ने विजय हजारे ट्रॉफी के लिए अपनी टीम का ऐलान किया है, इस टीम की कप्तानी प्रज्ञान ओझा को सौंपी गई है। विवाद यह है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने उस खिलाड़ी को सीनियर टीम में जगह दी है जोकि अंडर-23 टीम का चयनकर्ता है। ऐसे में हितों के टकराव के आरोप बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर लगाए जा रहे हैं।
चयनकर्ता को मिला टीम में मौका-
यह चयनकर्ता/खिलाड़ी हैं 28 साल के आशीष सिन्हा। आशीष के पिता अरुण कुमार सिन्हा पटना सेंट्रल के विधायक हैं, वह राज्य में शासित JDU पार्टी के विधायक हैं। आशीष ने रणजी ट्रॉफी का एक मैच झारखंड की टीम से 2010 में खेला था जिसमे वह 16 और 12 रन ही बना सके थे। न्यूज एजेंसी की मानें तो आशीष जून के महीने में राज्य की अंडर 23 टीम के लिए चयनकर्ता के रूप में काम कर रहे थे। वह खिलाड़ियों के ट्रायल्स ले रहे थे और इन ट्रायल्स का आयोजन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने किया था।
अंडर-23 के ट्रायल्स में निभाई थी चयनकर्ता की भूमिका-
8 जून को कटिहार, अररिया, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, बांका और जमुई में अंडर-23 टीम के चयन के लिए ट्रायल्स का आयोजन किया गया था। आशीष ने इसमें चयनकर्ता कि भूमिका निभाई थी। आशीष भी इस बात को स्वीकार चुके हैं कि वह अंडर-23 टीम के चयनकर्ता के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब वह बिहार की टीम से विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने को तैयार हैं।
आशीष ने दी सफाई-
आशीष ने न्यूज एजेंसी को दिए बयान में कहा कि "हां मुझे चयनकर्ता बनाया गया था लेकिन अब मैं उस पद पर नहीं हूं। मैं कुछ समय के लिए ही चयनकर्ता रहा और इसके लिए मुझे कोई आधिकारिक पत्र भी नहीं मिला था। मुझसे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के कहने पर चयनकर्ता बना था।" उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले रणजी ट्रॉफी का मैच खेल चुके हैं और अब वह क्लब क्रिकेट में सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि उनके सलेक्शन में उनके पिता का कोई भी हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार लम्बे समय बाद वापसी कर रहा है और हमें विवादों पर नहीं बल्कि खेल पर ध्यान देना चाहिए।
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