नई दिल्ली। एशियाई हॉकी की दो दिग्गज टीमें भारत और पाकिस्तान निराशाजनक रूप से अपने सेमीफाइनल मुकाबले हारने के बाद 18वें एशियाई खेलों में शनिवार को होने वाले तीसरे स्थान के मुकाबले में कांस्य पदक की जंग लड़ेंगी। एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहली बार होगा जब दोनों टीमें कांस्य पदक के मुकाबले में उतरेंगी। इसे किसी विडंबना से कम नहीं कहा जायेगा कि गत चैंपियन भारत ने जिस जापान को ग्रुप मैच में 8-0 से और पूर्व चैंपियन पाकिस्तान ने मलेशिया को 4-1 से हराया था, वही टीमें स्वर्ण पदक का मुकाबला खेलेंगी।
जिन्हें रौंदा वही फाइनल में -
भारत को सेमीफाइनल में मलेशिया ने सडन डैथ में 7-6 से और जापान ने पाकिस्तान को 1-0 से हराया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ने लीग मैचों में क्रमश: 76 और 45 गोल किए थे। लेकिन अहम सेमीफाइनल मुकाबले में दोनों टीमों ने घुटने टेक दिए।
भारत का पलड़ा भारी-
2014 के इंचियोन एशियाई खेलों के बाद से भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के खिलाफ 15 मैच खेले हैं जिनमें से भारत ने 9 जीते हैं। भारत ने लीग मैच में हांगकांग को 26-0 से हराकर अपना नया रिकार्ड बनाया था लेकिन मलेशिया से मिली हार ने करोड़ों भारतीयों का दिल तोड़ दिया है।
हार से क्षुब्द हैं कोच हरेंद्र-
भारतीय हॉकी टीम की सनसनीखेज पराजय से स्तब्ध कोच हरेन्द्र सिंह ने अपनी टीम को इस हार के लिए लताड़ा है। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में कांस्य जीतने की उम्मीद भी जताई है। अपनी टीम की हार से बेहद क्षुब्ध हरेन्द्र ने कहा कि हमने बेहद खराब गलतियां की और इसकी कीमत चुकाई। हम चीजों को सही तरीके से नहीं रख पाये और भारतीय स्किल दिखाने की कोशिश में अपनी लय खो बैठे।
भारतीय हॉकी के लिए बड़ा झटका-
कोच हरेंद्र ने आगे कहा कि यह भारतीय हॉकी के लिए बड़ा झटका है जिससे अगले ओलंपिक की राह बहुत मुश्किल हो गयी है। हमने फाइनल में पहुंचने के आसान मौके गंवाए। शूटआउट के लिए कोच ने कहा कि शूटआउट किसी भी टीम का खेल हो सकता है। हमने निर्धारित समय में गलतियां की और शूटआउट में कोई भी टीम जीत सकती है। फाइनल से बाहर हो जाने के बाद हमें कांस्य पदक जीतने के लिए पूरा जोर लगाना होगा।
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