नई दिल्ली। भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की निजी जिन्दगी में चला आ रहा तूफ़ान थमा नहीं है। दिनोदिन उनकी मुश्किलें बढती जा रहीं हैं। पत्नी हसीन जहां से चल रहे विवाद में अभी कुछ दिन पहले उन्हें 20 सितंबर को कोलकाता के अलीपुर की सीजेएम कोर्ट में पेश होना था। मगर वह कोर्ट नहीं पहुंचे। जिसके चलते उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने वाला था। अब खबर आ रही हैं के शमी ने सुरक्षा का हवाला देते हुए गनर उपलब्ध कराने की माग की है। इस संबंधमें उन्होंने जिलाधिकारी को आवेदन सौंपा है।
सरकार से मांगा गनर -
जी हां! अपनी पत्नी से परेशान मोहम्मद शमी ने अमरोहा डीएम को पत्र लिखकर अपने लिए सरकारी सुरक्षा की मांग की है, जिसके पीछे पत्नी हसीन जहां से चल रहे विवाद का हवाला दिया गया है। डीएम हेमंत कुमार के मुताबिक क्रिकेटर मोहम्मद शमी का गनर के लिए आवेदन मिला है। औपचारिकतायें पूरी होने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। बता दें शमी छुट्टिओं के दौरन अपने गांव में ही रहते हैं और परिवार के साथ समय बिताते हैं। पिछले दिनों शमी ने प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड भी रखे थे। लेकिन अब उन्हें हटाकर सरकारी गनर की डिमांड की है। शमी और उनकी पत्नी हसीन जहां में रिश्तों की खटास लगातार बढ़ रही है। बीच में हसीन जहां ने पहल भी की और शमी के गांव में उनके पैतृक आवास पहुंच गयीं। लेकिन शमी फिर भी नहीं आए। बिरादरी की पंचायत में भी शमी और हसीन जहां का मामला पहुंचा लेकिन तब भी कोई रास्ता नहीं निकला। जिसके बाद हसीन जहां कोलकाता वापस लौट गयीं और फिर से मोडलिंग शुरू कर दी।
बेटी के लिए मांगे थे दो लाख -
पिछले महीने हसीन ने एक व्यक्ति भेज कर स्कूल में बेटी के दाखिले के लिए शमी से दो लाख रुपये मांगे थे। शमी को हसीन की यह हरकत नागवार गुजरी और उन्होंने रुपये देने से इन्कार कर दिया। जिसके चलते उनकी बेटी बेबो का स्कूल में दाखिला नहीं हो सका है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हसीन अपनी तीन साल की बेटी बेबो का दाखिला कोलकाता के एक स्कूल में कराना चाहती हैं। हाल ही में वह स्कूल गईं थी, जहां दाखिले के लिए दो लाख रुपये की आवश्यकता है। दाखिले के लिए जरूरी धनराशि मांगने के लिए उन्होंने शमी के ही क्रिकेट जगत में गुरु रहे सुमन चक्रवर्ती को चुना। लेकिन शमी ने उन्हें पैसे देने से इन्कार कर दिया। वहीं शमी का इस मामले में कहना है कि बेटी बेबो के लिए रुपये क्या अपनी जान तक दे सकते हैं। शमी इस बात से नाराज़ हैं के बेटी के दाखिले के लिए सीधी बात करने के बजाय किसी तीसरे को क्यों भेजा जा रहा है।
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