
पुणे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इच्छामृत्यु को सही ठहराया। उन्होंने कहा कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता। लेकिन हर व्यक्ति के पास सम्मान से मरने का अधिकार है। पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- कई पश्चिमी देश अभी भी यूथेनेशिया (इच्छा मृत्यु) के मुद्दे संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन भारत में सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से इस समस्या से निपटा जा चुका है। हर व्यक्ति को जीने का अधिकार है, लेकिन उसी वक्त उसके पास यह भी अधिकार है कि वह सम्मान से अंतिम सांस कब ले। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में सुनाया था फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में इच्छामृत्यु पर एक अहम फैसला सुनाया था। अदालत ने कहा था कि कोमा में जा चुके या मौत की कगार पर पहुंच चुके लोगों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु और इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत कानूनी रूप से मान्य होगी। व्यक्ति अपनी वसीयत में लिख सकता है कि लाइलाज बीमारी होने पर उसे जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए और मृत्यु दे दी जाए।
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