
तस्वीर रायपुर शहर के करबला तालाब की है। पिछले साल तालाब के गहरीकरण के दौरान पीओपी से निर्मित गणेशजी की अनेक प्रतिमाएं पानी की तह में मिलीं। इन्हें तालाब में लगभग आठ महीने पहले विसर्जित किया गया था। इतने महीनों के बाद भी ये बिल्कुल भी नहीं घुली थीं। कुछ शहरों में हुए अध्ययन बताते हैं कि पीओपी और रासायनिक रंगों की वजह से पानी में लेड, मरकरी और कैडमियम जैसे हानिकारक तत्वों, ठोस पदार्थों और एसिड की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है और ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी आ जाती है। दैनिक भास्कर कई वर्षों से आप सभी पाठकों के साथ मिलकर 'मिट्टी के गणेश' अभियान चला रहा है। उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम पीओपी की बजाय मिट्टी से बने गणेशजी की स्थापना करें। फिर घर पर ही उनका विसर्जन कर पवित्र मिट्टी को गमले में डालकर उसमें पौधा लगा दें। इस तरह उत्सव के बाद भी पौधे के रूप में उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ बना रहेगा। जलाशय भी दूषित होने से बचेंगे। मिट्टी के गणेश के साथ अपनी सेल्फी 9200001174 नंबर पर वॉट्सएप करें। चयनित सेल्फी को भास्कर और हमारे सोशल मीडिया पेजेस...
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