
जयपुर। इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मैं और मेरे जैसी कितनी ही लड़कियां और महिलाएं इस तकलीफ से गुजरी हैं। यह हर रोज हो रहा है और हर जगह हो रहा है। मेरे साथ यह आठ साल की उम्र में हुआ था। तब मैं इसका मतलब नहीं समझती थी। लेकिन अब 15 वर्ष की उम्र में मुझे इसके मायने पता हैं।
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