
भरतपुर(जयपुर). शहर के अपना घर आश्रम में 10 राज्यों के करीब 76 मूक-बधिर महिला-पुरुष लंबे समय से रह रहे हैं। ये अपने घर जाना तो चाहते हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि वे परिजन का नाम और घर का पता ठीक से नहीं बता पा रहे हैं क्यों कि यह पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, इसलिए लिखकर भी कुछ बता पाने में असमर्थ हैं। इस पीड़ा के बीच 'अपना घर' के संचालन में रोचक बात भी है। वो है आश्रम के लिए भोजन जैसी रोजमर्रा की बेहद जरूरी चीजों का इंतजाम करने का तरीका। इसके लिए बस जरूरी सामान और अन्य आवश्यकताओं की एक चिट्ठी लिखकर नियमित रूप से ठाकुर जी (श्रीकृष्ण भगवान) के मंदिर में रख दी जाती है।
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